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प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग ने एएसआई मंजीत को निलंबित करने के आदेश किए जारी, जानें वजह

लिंमड़ा गांव में बच्चे की आत्महत्या मामले की जांच कर रहे एएसआई मंजीत निलंबित
एसडीपीओ रोहड़ू से पूरे मामले पर जवाब तलब, जांच में ढिलाई का आरोप
आयोग अध्यक्ष कुलदीप कुमार धीमान ने पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने के निर्देश जारी किए


लिंमड़ा गांव में एक बच्चे की आत्महत्या के मामले ने प्रदेश प्रशासन और पुलिस तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग ने इस मामले की जांच कर रहे एएसआई मंजीत को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए हैं, जबकि एसडीपीओ रोहड़ू से इस पूरे प्रकरण पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

बुधवार को आयोग अध्यक्ष कुलदीप कुमार धीमान ने रोहड़ू रेस्ट हाउस में स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात कर विस्तृत रिपोर्ट तलब की। उन्होंने कहा कि पुलिस जांच अब तक संतोषजनक नहीं रही है और शुरुआत में ही जांच को गंभीरता से न लेने के कारण कई महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रभावित हुए।

धीमान ने बताया कि 20 सितंबर को जब यह मामला दर्ज किया गया, तब पुलिस ने इसे अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम 1989 की धाराओं के तहत दर्ज नहीं किया। यह बड़ी लापरवाही थी, जिसके चलते जांच की दिशा बदल गई। आयोग की जांच में पाया गया कि जांच अधिकारी एएसआई मंजीत ने अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें निलंबित किया गया है।

साथ ही आयोग ने यह भी पाया कि एसडीपीओ रोहड़ू की कार्यप्रणाली भी संतोषजनक नहीं रही। इसलिए उनसे इस पूरे प्रकरण पर जवाब मांगा गया है। आयोग ने पुलिस को यह भी निर्देश दिए कि पीड़ित परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, क्योंकि परिवार ने खुद को असुरक्षित बताया है।

धीमान ने बताया कि परिवार की शिकायत में यह उल्लेख किया गया था कि बच्चे को घर में प्रवेश करने पर ‘अछूत’ बताने और घर की शुद्धि के लिए बकरा मांगने की घटना घटी थी। लेकिन पुलिस ने इसे प्रारंभ में एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज नहीं किया। जब मामला हाई कोर्ट पहुंचा, तब जाकर अधिनियम की धाराएं जोड़ी गईं, लेकिन इसके बावजूद आरोपित महिला की गिरफ्तारी नहीं हुई

आयोग ने 1 अक्तूबर को एसडीपीओ रोहड़ू से तीन दिन में रिपोर्ट देने को कहा था, लेकिन समय सीमा में रिपोर्ट नहीं दी गई। 14 अक्तूबर को डीजीपी कार्यालय से आयोग को रिपोर्ट प्राप्त हुई, जिससे पता चला कि पुलिस ने मामले में ढुलमुल रवैया अपनाया।

आयोग ने न केवल जांच अधिकारियों से पूछताछ की बल्कि पीड़ित परिवार से भी मुलाकात कर पूरी जानकारी प्राप्त की। इस दौरान यह भी बताया गया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से परिवार को 4,12,500 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।

आयोग अध्यक्ष ने कहा कि दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना आयोग का उद्देश्य है। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू स्वयं इस प्रकरण पर नजर रखे हुए हैं और उन्होंने आयोग को निर्देश दिए थे कि पीड़ित परिवार से मिलकर हर संभव सहायता प्रदान की जाए।

इस मौके पर आयोग के सदस्य विजय डोगरा, दिग्विजय मल्होत्रा, एडीएम (लॉ एंड ऑर्डर) पंकज शर्मा, एसडीएम धर्मेश, एएसपी रतन नेगी, जिला कल्याण अधिकारी कपिल देव समेत अन्य अधिकारी और पीड़ित परिवार के सदस्य उपस्थित रहे।